पानी टंकी का सिर्फ कागज़ों पर निर्माण! सरपंच-सचिव ने उड़ाए 13,800रु. साल्हे पंचायत में बड़ा घोटाला

सारंगढ़ से अनिल यादव की रिपोर्ट
साल्हे में बिना काम 13,800 रु. का भुगतान: सरपंच-सचिव पर सरकारी राशि के गबन का गंभीर आरोप।
सारंगढ़। सारंगढ़ जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत साल्हे में सरकारी राशि के गबन का एक गंभीर मामला सामने आया है। पंचायत के सरपंच और सचिव पर बिना कोई निर्माण कार्य किए, पानी टंकी के नाम पर 13,800 रु. की राशि आहरित (निकालना) करने का आरोप है।
सूत्रों से मिली जानकारी और पंचायत के दस्तावेजों की पड़ताल से पता चला है कि ग्राम पंचायत साल्हे में एक पानी टंकी के निर्माण के लिए सरकारी मद 13,800 रु. की राशि जारी की गई थी। नियमानुसार, यह राशि निर्माण सामग्री खरीदने, श्रम भुगतान और अन्य आवश्यक कार्यों पर खर्च होनी थी।
मौके पर कोई निर्माण नहीं
लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि ग्राम साल्हे में पानी टंकी का कोई भी निर्माण कार्य धरातल पर शुरू ही नहीं हुआ है। जब हमारी टीम ने मौके पर जाकर जायजा लिया, तो पानी टंकी के निर्माण स्थल पर न तो कोई नींव खोदी गई थी और न ही निर्माण सामग्री का एक भी ईंट या सीमेंट का कट्टा मिला। यानी, कागज़ों में पानी टंकी बन गई, लेकिन हकीकत में वह गायब है।
रिकॉर्ड में काम पूरा, तिजोरी में राशि
सवाल यह उठता है कि जब पानी टंकी का निर्माण कार्य शुरू ही नहीं हुआ, तो 13,800 रु. की राशि किस आधार पर निकाली गई और उसका उपयोग किस मद में हुआ? पंचायत के वित्तीय दस्तावेजों से स्पष्ट होता है कि यह राशि आहरित की जा चुकी है, जिसका मतलब है कि इसे किसी न किसी के खाते में भुगतान कर दिया गया है। यह सीधे तौर पर सरकारी राशि का गबन और भ्रष्टाचार का मामला है।
ग्रामीणों में इस बात को लेकर खासा आक्रोश है कि विकास कार्यों के लिए आने वाली राशि का उपयोग व्यक्तिगत लाभ के लिए किया जा रहा है, जबकि उन्हें आज भी पेयजल की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।
जाँच की मांग
ग्राम पंचायत साल्हे के सरपंच और सचिव की भूमिका इस पूरे मामले में संदिग्ध है। यह मामला बिना किसी शिकायत के सामने आया है, जो पंचायत स्तर पर चल रहे अंधे भ्रष्टाचार की पोल खोलता है। जिला प्रशासन और जनपद सीईओ को तत्काल इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए।
इस 13,800 रु. के छोटे से गबन की घटना से स्पष्ट होता है कि पंचायत की अन्य योजनाओं और विकास कार्यों में भी बड़े पैमाने पर अनियमितता हो सकती है। उच्चाधिकारियों को चाहिए कि वे न सिर्फ इस पानी टंकी मामले की गहन जाँच करें, बल्कि पिछले वर्षों के सभी पंचायत कार्यों का भी विशेष ऑडिट करवाएँ ताकि सरकारी धन के दुरुपयोग को रोका जा सके।