लापरवाही की खुली पोल

संवाददाता-अंजोर यादव
“हरा सोना” के नाम से प्रसिद्ध तेंदूपत्ता एक ओर जहां ग्रामीणों की आजीविका का प्रमुख साधन है, वहीं दूसरी ओर विभागीय लापरवाही के कारण यह बहुमूल्य संपत्ति अब बर्बादी की कगार पर पहुँच रही है।
बसना वन परिक्षेत्र में बड़ी मात्रा में तेंदूपत्ता खराब होकर छँटाई के लिए पड़ा हुआ है, जो ग्रामीणों की मेहनत और उनके श्रम का सीधा अपमान है। जानकारी के अनुसार, संग्रहण सीजन खत्म होने के बाद भी रखरखाव पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
जब इस संबंध में क्षेत्र प्रभारी स्वरूप प्रधान (डीएम) से बात की गई तो उन्होंने सीधा पल्ला झाड़ते हुए कहा – “सीजन में देखता हूँ, अभी सीजन जा चुका है, इसकी मुझे जानकारी नहीं है।”
यह बयान साफ तौर पर विभागीय उदासीनता और लापरवाही को दर्शाता है।
गौरतलब है कि गांव की माताएं और बहनें दिन-रात मेहनत करके तेंदूपत्ता संग्रह करती हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। लेकिन इस तरह रखरखाव और जिम्मेदारी की कमी से पूरा श्रम पानी में जाता नजर आ रहा है।
ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि तेंदूपत्ता संरक्षण व रखरखाव पर विशेष ध्यान दिया जाए, ताकि यह हरा सोना बर्बाद न होकर ग्रामीणों की आजीविका का सहारा बने।