महासमुंद जिले के पिथौरा ब्लॉक की 26 वर्षीय युवती, ज्योति सोनी आज आत्मनिर्भरता और दृढ़ संकल्प की मिसाल बन चुकी हैं। एक आर्थिक रूप से कमजोर परिवार में जन्मी ज्योति ने अपने माता-पिता की कठोर मेहनत और सीमित साधनों के बावजूद अपनी सफलता की कहानी खुद लिखी। उनके पिता दिहाड़ी मजदूरी मजदूर थे, और चार बच्चों वाले परिवार को चलाना उनके लिए हमेशा एक चुनौती रही। बावजूद इसके, माता-पिता ने उनकी शिक्षा को प्राथमिकता दी।
ज्योति ने अपने बचपन में आर्थिक समस्याओं और सीमित संसाधनों को देखा। उन्होंने पिथौरा के एक सरकारी हाई स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की। उच्च माध्यमिक शिक्षा के बाद, ज्योति ने अपने भविष्य को बेहतर बनाने के लिए नए अवसरों की तलाश शुरू की। इसी दौरान, उन्हें “मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना“ के तहत फूलों की खेती (फ्लोरीकल्चर) में 6 महीने के प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में जानकारी मिली। अपना प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, ज्योति को बेंगलुरु में कैफे कॉफी डे में नौकरी का प्रस्ताव मिला। यह नौकरी उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। आज, ज्योति अपनी मेहनत और काबिलियत से न केवल अपने परिवार को आर्थिक मदद कर रही हैं बल्कि अपनी खुद की पहचान भी बना रही हैं।
ज्योति की सफलता उनके परिवार के लिए गर्व की बात है। उनकी मां कहती है कि हमने अपनी बेटी को बहुत कठिन परिस्थितियों में पाला। आज वह हमारी मदद कर रही है और हमें गर्व महसूस होता है। उसने यह साबित कर दिया है कि बेटियां भी बेटों के समान काबिल होती हैं।
ज्योति बताती है कि उनके सफलता में स्थानीय महिला समूह और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का अहम योगदान रहा। अगर आंगनवाड़ी दीदी ने मुझे कौशल विकास कार्यक्रम के बारे में नहीं बताया होता, तो शायद मेरी शादी हो गई होती और मैं कभी आत्मनिर्भर नहीं बन पाती। उनकी मेहनत और उपलब्धियों को स्थानीय परियोजना अधिकारी और अन्य अधिकारियों ने भी सराहा। अगर किसी के पास इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प हो, तो वह हर मुश्किल को पार कर सकता है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे सरकारी प्रयासों और कौशल विकास कार्यक्रमों ने न केवल लड़कियों को शिक्षित किया है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने का मौका भी दिया है